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Sunday 31 July 2011

महाशिव पुराण-5

महाशिव पुराण 


सूत जी बोले  -सुनाता हूँ तुम्हे मैं एक कथा 
शिव भक्ति से विरत जीवन तो है एक व्यथा 
है पुरानी बात  ये समुद्र तट प्रदेश की
जिसके  निवासी मूर्ति थे दुष्टता के रूप की .

पशु प्रवर्ति पुरुष थे ,स्त्री व्यभिचारिणी
पुण्यहीन पुरुष और स्त्री पुण्य हारिणी
यहीं बसा था एक विदुंग  नाम ब्राह्मन
छोड़ सुन्दर भार्या वेश्या  से करता था रमण .

धीरे धीरे भार्या से उसकी विमुखता थी बढ़ी
पत्नी चंचुला पे भी काम की गर्मी चढ़ी
कामावेग से विवश धर्म-भ्रष्ट हो गयी
एक अन्य पुरुष के प्रेम में वो खो गयी .

जानकर ये बात विदुंग क्रोधाग्नि में जला
मारपीट करने को हो गया उत्सुक बड़ा
चंचुला ने तब उसे ये उलाहना था दिया
छोड़ मुझसी रूपसी क्यूँ वेश्या में था तू रमा ?

कैसे रोक सकती थी मैं कामना तूफ़ान को ?
काम पीड़ा नाग बन डस रही थी प्राण को
सुन चंचुला व्यथा विदुंग  के थे ये विचार
धन कमाने के लिए अब तुम करो उनसे बिहार .

पति की अनुमति पा व्यभिचार करने लगी
अधर्म को धर्म मान कुमार्ग पर चलने लगी
आयु पूर्ण होने पर विदुंग की मृत्यु  हो गयी
कुकर्म के फलस्वरूप पिशाच की योनि मिली .

चंचुला के रूप की धूप भी थी ढल गयी
गोकर्ण -प्रदेश में एक दिन थी वो गयी
एक मंदिर में कथा संत मुख से थी सुनी
दुष्कर्म के परिणाम  सुन मन में ग्लानि भर गयी .

                           [जारी ...]
            शिखा कौशिक




Tuesday 26 July 2011

शिव महापुराण [४ ]

शिव महापुराण [४ ]
शिव महापुराण श्रवण के लाभ हैं दिव्य महान 
इसके पूर्व शिव पुराण श्रवण -विधि को लें जान
शुभ मुहूर्त में सदा इसका श्रवण आरम्भ हो
मित्र-बंधु का स्वागत साथ में सानंद हो .

कथा श्रवण घर में या फिर शिवालय में करो
कथा के स्थान को स्वच्छ -सुसज्जित करो
केला और चंदोवा से मंडप को सज्जित कीजिये
उच्च पद प्रदान कर वक्ता को मान दीजिये .

वक्ता पूर्व मुख हो व् श्रोता का मुख उत्तर की ओर
श्रोता  वक्ता के प्रति श्रृद्धा की बांधे रखे डोर  
वक्ता को भी चित्त  अपना शांत रखना चाहिए
कथा वाचन काल में संयम से रहना चाहिए .

नित्य सूर्योदय के साढ़े तीन प्रहर कथा सुनाइए
भजन कीर्तन  से फिर समाप्त करना चाहिए
निरविघ्न  चले कार्य ये ;गणेश पूजन कीजिये 
यजमान  को शुद्ध -आचरण का निर्देश दीजिये .

शिव-पुराण वक्ता को शिव स्वरुप मानकर
यजमान श्रृद्धा भाव से उसको ही शिव स्वीकार कर
श्रवण-पुण्य पा रहा यजमान का सौभाग्य
पवित्र है पुराण ये पूजा के है योग्य .

शिव-मन्त्र जप हेतु पञ्च-ब्राह्मन नियुक्त कीजिये
कथा पूर्ण होने पर उन्हें अन्न वस्त्र दीजिये
कथा श्रवण काल में सचेत व् सजग रहें
हो गयी त्रुटि अगर तो शिव का कोप भी सहें .

कथा श्रवण काल में ये आचरण न कीजिये
कथा श्रवण काल में कुछ भक्षण न कीजिये
बड़ों  का निरादर और स्वयं पर अभिमान
इनसे सदैव मिलते हैं अशुभ ही परिणाम .
  
                             शिखा कौशिक

Thursday 21 July 2011

शिव महापुराण -[३]

शिव महापुराण -[३]


किरात  नगर  में  एक  ब्राह्मन  का  निवास  था 
आचारहीन उस मनुज में नैतिकता का न वास था 
मांस बेचने का नीच कर्म वो करने लगा 
घृणित आचरण से तिजोरियां भरने लगा .

तालाब में स्नान हेतु एक दिन जब वो गया 
तब वहां शोभावती को देख मुग्ध हो गया 
रूपवती वेश्या ने उसको था वश में कर लिया 
उसकी समस्त बुद्धि को पाप ने था हर लिया .

माता पिता और भार्या उसको सिखाते थे सतत 
ये कुकर्म मार्ग है इस पे चलना है गलत 
किन्तु उस दुर्बुद्धि ने उनका ही वध था कर दिया 
और सारा धन उस वेश्या पर लुटा दिया .

धनहीन जानकर करने लगी उपेक्षा 
कुकर्मी वेश्या से थी और क्या अपेक्षा ?
सब तरफ से हो निराश वो भटकने था लगा 
पाप कर्म की सजा वो भुगतने था लगा .

वो भटकता यत्र तत्र ज्वर से पीड़ित हो गया 
शिव के मंदिर पर वो पहुंचा ये थी भगवन की दया 
कह रहे थे साधु संत शिव पुराण की कथा 
जो सुनी थोड़ी सी उसने फिर वो अपने घर गया .

कुछ दिवस पश्चात् काल ग्रास  बन गया 
आये यम के दूत कर्मों की उसे  देने सजा 
शिव के दूत कर रहे यमदूतों का विरोध थे 
शिव पुराण सुन चुके उस ब्राह्मन के सुयोग थे .

शिव पुराण सुनने से इसका ह्रदय अब शुद्ध है 
कैलाश पर ले जाने के ये सर्वथा उपयुक्त है 
यमदूत और शिव के दूत अपनी बात पर अड़े 
संघर्ष हो रहा वहां प्रहार हो रहे कड़े .

सुनकर ये शोर धर्मराज को वहां आना पड़ा 
तर्क सुन शिव दूतों के फैसला किया बड़ा 
ले जाओ शिव के लोक सब बात मैं समझ गया 
ये पाप करते करते एक पुण्य भी है कर गया .

सूत जी बोले -शिव कृपा उस पर हुई 
शिव-महापुराण-श्रवण ऐसी ही अमृतमयी 
योगियों को भी अगम्य शिव लोक सहज हो गया 
भक्त वत्सल शिव ने उसको पाप-मुक्त कर दिया .

                                          शिखा कौशिक 
                          http://shikha-kaushik.blogspot.com



Monday 18 July 2011

शिव-महापुराण [२]



''शिव-महापुराण  [२]''






* शिव पुराण तो स्वयं शिव का ही स्वरुप है ;
प्रत्येक शिव का भक्त शिव का ही दूजा रूप है ;
चित्त शुद्धि-प्रेम वृद्धि इसके श्रवण के लाभ हैं ;
शिव भक्त के चरण स्वयं तीर्थ राज प्रयाग हैं

 *इसके पठन पाठन  से मिलते दिव्य सब वरदान हैं  ;
इससे प्राप्त फल राजसूय यज्ञ के समान है ;
इसलिए हे सूत जी! हमको भी थोडा ज्ञान दो 
शिव भक्ति शीतल जल में करने हमें स्नान दो .

*सूत जी बोले मधुर वाणी में शौनक जी सुनो 
जो मुक्ति प्यास हो सदा शिव भक्ति रस ही पियो ;
शिव महा पुराण शिव-मुख से है प्रकट  हुई 
मुक्ति मार्ग खोलती अमृत-सदृश भक्तिमयी .

*सात संहिताएँ और चौबीस हज़ार शलोक हैं ;
प्रत्येक संहिता से मिलता नया आलोक है ;
शिव का भक्ति रस मन में सदा ही घोलती ;
हर संहिता शिव-तत्व के रहस्य खोलती .

*विद्येश्वर;रूद्र और शतरुद्र संहिता 
कोटि रूद्र,उमा और कैलाश नाम संहिता 
वायवीय जोड़कर सात हैं ये  संहिता सकल 
इनसे युक्त शिव महापुराण का है यश धवल .

*शिव महापुराण करती है मनोरथ सब सफल 
इसकी शीतल छाँव से त्रिताप का होता शमन 
ये बढाती बल पुरुष का ;संकटों की हो घडी 
आत्मा मुक्ति की सीढ़ी इसकी शक्ति से चढ़ी .

*फिर से शौनक जी ने की सूत जी से प्रार्थना 
आज आप कथा -पुष्पों से करे ये अर्चना ;
उन सभी पवित्र जन की जिनकी होती वंदना 
हे प्रभु !कहिये कथा खोलकर मन अर्गला .

*चित्त शुद्धि का यही सबसे सरल उपाय है ;
आदर्श पुरुषों की प्रेरक सभी कथाएं हैं ,
ये प्रभु के चरणों में आस्था बढ़ाएं हैं ;
इनसे हीन जन मूर्ख -निस्सहाय  है .

*सूत जी बोले -हे शौनक जी!  सत्य है तुमने कहा 
शिव पुराण पठन पाठन हरता हर संकट महा ;
मैं सुनाता हूँ तुम्हे -ये कथा प्राचीन है ;
किन्तु इसकी अर्थवत्ता आज भी नवीन है .
                                                               [जारी .....]

                                   शिखा कौशिक 



Sunday 17 July 2011

'' शिव महापुराण ''



श्री गणेशाय नम: 
''हे गजानन! गणपति ! मुझको यही वरदान दो 
हो सफल मेरा ये कर्म दिव्य मुझको ज्ञान दो 
हे कपिल ! गौरीसुत ! सर्वप्रथम तेरी वंदना 
विघ्नहर्ता विघ्नहर साकार करना कल्पना ''
                     
''''सन्दर्भ  ''''
                                             ॐ नम : शिवाय !
                                            श्री सीतारामचन्द्रभ्याम नम :



                            
श्रवण मास के आरम्भ के साथ ही ह्रदय ''बम-बम भोले '' के उद्घोष से गूंज   उठता है .हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर १८ पुराणों में ''शिव महापुराण '' का विशेष महत्व है .मैंने भगवान गौरीशंकर की प्रेरणा से इसकी कथा को काव्य रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है .इसे पठन करने से यदि आपके ह्रदय में शिव भक्ति का एक क्षण के लिए भी उद्भव होता है और आप आनंद की अनुभूति करते हैं तब मैं अपने इस कार्य को सफल मानूंगी  .भगवान गौरी शंकर मेरी सहायता करें !


                              ''शिव महापुराण महिमा ''
*सकल ब्रह्माण्ड में है शिव -तत्व की ही सत्ता  
जीवन में सर्वत्र है शिव-शब्द की महत्ता 
एक शक्ति तीन रूप -सृजन-पालन-अंत
 शिवत्व-प्राप्ति ही मानव का ध्येय अनंत 


*शिव ही हैं कल्याणकारी;शिव ही सुन्दरतम ;
शिव ही सत्य रूप हैं ;शिव हैं प्रभु परम;
इस तत्व को जो जानते निर्मल उन्ही का मन 
शिव भक्ति रस में डूबते वे पुण्यशाली जन .

 * शौनक जी हैं पूछते कर विनम्र नमस्कार 
सूत जी बतलाइए पुराणों का कुछ तो सार

जिन पुराणों के श्रवण से मन का मैल छूटता 
भ्रमित मानव के ह्रदय को कल्याण मार्ग सूझता .  

* शिव-पुराण की कथा विस्तार से बतलाइये 
पाप  के इस युग-कुटिल से हमको भी बचाइये
मन के दोष दूर हो ; संतोष का निवास हो 
अल्पायु मृत्यु भय हटे ,शिव में अटल विश्वास हो .
[जारी .....]
                                                               
शिखा कौशिक 


Saturday 16 July 2011

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

आज ह्रदय से प्रभु तुम्हारा
अनुपम ध्यान मैं करती हूँ  ;
कलम बनेगी कमंडल मेरा
कविता से पूजा करती हूँ .
*********************
प्रभु  आपके अनुपम रूप को
शब्दों में कैसे लिख दूँ ;
यही सोचकर ह्रदय में मेरे
असमंजस -सी रहती है .
***********************
कोई तुमको भोला कहता
कोई कहता भूतनाथ  ;
मैं नाम तुम्हारा   क्या रख दूँ ?
तुम ही बतलाओ जगतनाथ .
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त्रिनेत्र हैं पास तुम्हारे   जब
मुझको क्यों जीवन -चिंता हो !
संकट मुझपर जब भी आये 
तब तुम ही सहायता करते हो .
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नीले रंग का यह गात प्रभु
आकाश सद्रश ही लगता है ;
हो  गगन तुम्ही या तुम्ही गगन 
कौतुहल हर पल रहता .
***********************
मस्तक पर अर्ध -चन्द्र शीतल 
माँ गौरी बाएं विराज रही ;
नंदी अतिप्रिय तुम्हारे हैं 
गंगा जटा में है साज रही  .
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एक   बार प्रभु मुख दर्शन ही 
सारी पीड़ा हर लेता है ;
सर्पों का जोड़ा ग्रीवा में 
अति  अद्भुत शोभा देता है .
*********************** जय भोलेनाथ !