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Sunday 28 July 2013

पर भक्त अब रूठेंगें तो फिर न मनेंगें !

पर भक्त अब रूठेंगें तो फिर न मनेंगें !

टूटी आस्था के सिरे कैसे जुडेगें ?
श्रद्धा के बुझे दीप भला कैसे जलेंगें ?
हाथ तेरे सामने अब कैसे जुडेंगें ?
भगवान तेरे चरणों में सिर कैसे झुकेंगें ?
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सौप कर जीवन तुम्हें भक्त थे निश्चिन्त ,
भय किसी दुर्घटना का न था उन्हें किंचित ,
करते हुए जयकार तेरी थे बड़े हर्षित ,
पर इस प्रलय ने कर दिए उर बहुत व्यथित ,
जब तुम ही न बचाओ प्रभु फिर कैसे बचेंगें ?
टूटी आस्था के सिरे कैसे जुडेगें ?
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हुई त्रुटि हमसे प्रभु जो ये प्रलय आई ,
राह पर तुमने भी प्रभु क्यूँ ना सुझाई ?
मूर्ख है पर हैं तो संतान तुम्हारी ,
परमपिता पर आपने करुणा न दिखाई ,
अपनों का ये बिछोह प्रभु कैसे सहेंगें ?
टूटी आस्था के सिरे कैसे जुडेगें ?
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भक्त को था भरोसा सिर पे तेरा हाथ ,
हर कठिन परीक्षा में तू देगा उनका साथ ,
फिर क्या हुआ जो छोड़ दिया तूने भंवर में ,
करना क्षमा ये प्रश्न किया तुमसे प्राणनाथ ,
पर भक्त अब रूठेंगें तो फिर न मनेंगें !
टूटी आस्था के सिरे कैसे जुडेगें ?

शिखा कौशिक 'नूतन'


Tuesday 23 July 2013

कावड़िया नाचेगा ...बम बम भोले !




कावड़िया नाचेगा ...बम बम भोले !      

Shankar Bhagwan

कावड़िया नाचेगा ...बम बम भोले !

 आया है मास  ये सावन का शिव - डमरू बाजेगा ,
बम बम भोले   कहकर के कावड़िया नाचेगा !


 हम हरिद्वार जायेंगें गंगाजल लायेंगें ,
लाकर शिवलिंग पर उसको श्रृद्धा से चढ़ायेंगें,
गौरा के संग में भोला उर आन विराजेगा !
बम बम भोले   कहकर के कावड़िया नाचेगा 

हो सकल 'विश्व कल्याण ' वर  मांगेगें ,
शिव -शंकर कृपा करेंगें सोये भाग भी जागेगेँ,
'जय हो गौरी -शंकर की ' अधरों पर साज़ेगा !
बम बम भोले   कहकर के कावड़िया नाचेगा 

सिर शिव चरणों में रखकर दुःख ताप  मिटायेंगे ,
हम महाकाल को भजकर आनंद मनाएंगे ,
शिव के त्रिशूल से डरकर भय सबका भागेगा !
बम बम भोले   कहकर के कावड़िया नाचेगा !

जय भोलेनाथ की !

शिखा कौशिक 'नूतन '