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Wednesday, 16 July 2014

हे भोले ! तेरे हम भक्त हैं !

हे भोले ! तेरे हम भक्त हैं ![भक्ति....]
Shivling Amarnath

अल्हड़  हैं ..अलमस्त हैं ;
हे भोले ! तेरे हम भक्त हैं ;
पर भव-सागर में फंसे हुए हैं ;
माया बंधन से कसे हुए हैं ;
रक्षा करो हे नाथ बाबा अलख निरंजन !
बोलो  बम बम बम...बाबा अलखनिरंजन !






धर्म का लोप हुआ ...त्रस्त है दुनिया सारी;
घटा पुण्य का मान ...पाप का पलड़ा भारी ;
अपने डमरू की डम डम से हर लो अघ का तम ;
बाबा अलख निरंजन ! बोलो बम बम बम !

धोकर सभी के पाप हुई गंगा मैली ;
संस्कार की बिगड़ गयी सब भाषा शैली ;
हर लो संकट आकर अब  मेरे भगवन !
बाबा अलख निरंजन ! बोलो बम बम बम !


सारा जग द्वेष की आग में धू धू जलता 
तुम्ही  करो उद्धार जगत के कर्ता -धर्ता  ;
तुम तो हो उद्धारक और हम हैं अधमाधम ;
बाबा अलख निरंजन !बोलो बम बम बम 
                                                     जय गौरी शंकर की !
                                                      जय भोलेनाथ की !

                             शिखा कौशिक 'नूतन '

Sunday, 6 April 2014

''आ गयी नवरात्रि मैय्या मेरे घर आना ''



 ''आ गयी नवरात्रि मैय्या मेरे घर आना ''
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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देवी मंडप में पहले दिन जो पूजी जाती माता ,
शैलपुत्री नाम है उनका पर्यावरण की वे त्राता ,
शिव संग इन्हें पूजकर हिमपुत्री दर्शन पाना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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दिवस दूसरे ब्रह्मचारिणी का  करते हैं पूजन ,
सृष्टि की निर्मात्री माँ आदि-शक्ति पावन ,
शिशु-जन्म की नींव पड़ी माता का गौरव जाना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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तीसरे दिन ''चंद्रघंटा '' का करते हैं आराधन ,
दसों भुजाओं वाली माता सिंह है इनका वाहन ,
माँ घंटे की ध्वनि से प्रेतों को दूर भगाना !
 धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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''कूष्माण्डा'' माँ की पूजा चौथे दिन हैं करते ,
इनके 'ईशत हास्य' से अन्धकार सब हरते ,
सभी में स्थित तेज है जो मेरी माता की है छाया !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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दिवस पांचवे जिन देवी को घर-घर पूजा जाता ,
तारकासुर- नाशक  स्कन्द की हैं माता ,
माँ-बेटे के पावन स्नेह का सृष्टि गाती गाना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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'कात्यायनी'' माँ का होता छठे दिवस फिर पूजन ,
तृष्णा व् तुष्टि की शक्ति देती सन्देश ये पावन ,
वश में कर लेता इंद्री मन को पुत्री जब माना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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सप्तम दिवस माँ कालरात्रि का करते सब हैं पूजन ,
दुष्ट-विनाशक ,शुभंकरी माँ कहलाती भय-भंजन ,
सिद्धि के सब द्वार मात अब जल्दी से खुलवाना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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अष्टमी के दिन होता माँ गौरी का  आराधन ,
श्वेत -वृष आरूढ़ हैं माता गृहस्थों का करती मंगल ,
चंडी, दुर्गा तेरे बल का लोहा सब ने माना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !
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नवम तिथि को सिद्धिदात्री माँ को पूजा जाता ,
पृथक नहीं सृष्टि में कुछ भी सब मात में आ समाता ,
अर्थ की देवी भंडारे भक्तों के भरती  जाना !
धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

शिखा कौशिक 'नूतन' 

Monday, 10 February 2014

प्रेममय होकर मनुज बनता स्वयं भगवान् है !


जिसके वशीभूत हो प्रभु ने जगत ये रच दिया ,
कृष्ण की बंसी बजी किसने इसे ये सुर दिया ?
हर ह्रदय में बस रहा वो भाव जो वरदान है ,
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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प्रेम की शक्ति से ही सृष्टि का ये विस्तार है ,
हर मनुज उर में सदा बहती यही रस-धार है ,
नलिनी-सम सौंदर्ययुक्त आकार-निराकार है ,
त्रिलोक की संजीवनी ये जगत आधार है ,
जिसके उदित होते मिटे स्वार्थ का अभिमान है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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गौरा बनकर अर्पणा हो गयी भोलेनाथ की ,
लक्ष्मी-नारायण मिले श्रीराम संग हैं जानकी ,
कृष्ण-राधा के हुए मीरा हुयी घनश्याम की ,
ये सभी साकार रचना प्रीती-प्रेम भाव की ,
नारी-नर मिलन का हेतु भाव जो महाप्राण है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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शब्दहीन जिसकी भाषा बोलते दो नैन हैं ,
कर्ण सुन रहें है सब रसना किन्तु मौन है ,
जो प्रिया के मुख -कमल पर लाली बन विराजती ,
प्रेम की ये भावना रूप को निखारती ,
श्रृंगार सुन्दरतम यही नयन -अभिराम है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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द्वेष के खडग को जो आगे बढ़ के काटती ,
भेदभाव -खाई को भली प्रकार पाटती ,
पाप के समुन्द्र में फंस गए यदि कभी ,
पुण्य-नौका प्रीती की भव -निधि से तारती ,
व्यष्टि पर समष्टि की जीत ये महान है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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त्याग व् कल्याण ही जिस पिता के पुत्र हैं ,
करुणा व् उदारता जैसी न अन्यत्र है ,
जो अहम् से मुक्त सर्वत्र जिसका मान है ,
सब भाव मिलकर पूजते देते इसे सम्मान हैं ,
अमृत -तुल्य ''प्रेम-पत्र'' मानवता की पहचान है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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होली आई-होली आई प्रेम रंग चढ़ गया ,
राखियों के रूप में कलाई पर है बांध गया ,
ईद के मौके पे आ जो गले से लग गया ,
दीपावली में एक एक प्रेम दीप सज गया ,
है मनुज केवल मनुज हिन्दू न मुसलमान है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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प्रेम श्रद्धा ,प्रेम-मान ,प्रेम-सदाचार है ,
प्रेम-दया ,प्रेम-कृपा ,प्रेम ही उपकार है ,
प्रेम-अनल ,प्रेम-अनिल ,प्रेममय संसार है ,
प्रेम-धरा ,प्रेम गगन ,प्रेम जल की धार है ,
प्रेम सम प्रेम ही प्रेम के समान है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
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जो सखा ,जो प्रिय ,जिसका ह्रदय में वास है ,
श्वास-श्वास में रमा जो अटल-विश्वास है ,
जो सुगंध प्रसून की , न बुझने वाली प्यास है ,
प्रेम-मानव देह में प्रभु का अमर-आभास है ,
प्रेममय होकर मनुज बनता स्वयं भगवान् है !
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम'' उसका नाम है !
शिखा कौशिक 'नूतन'