नन्हा सा कान्हा चले है ठुमककर ;
माता जसोदा देंखें हुलसकर ;
चलते हुए जब जरा डगमगाए ;
माँ का हिया बड़ा घबराये ;
बाँहों में भर लेती हैं दौड़कर !
पैय्या के घुंघरू जो छम छम छमकते ;
किलकारी मार कान्हा कितने मचलते ;
लेती बलैय्याँ माँ है झूमकर !
आँगन में आई एक चिड़िया गौरैय्या ;
उसको पकड़ने को दौड़ें कहैय्या ;
फुर्र से उडी ..देंखें हैं चौककर !
नटखट कन्हैय्या की मोहक अदाएं ;
गोकुल के नर-नारी ....सबको लुभाएँ ;
माँ-बाबा गोद लेते भाल चूमकर !
नन्हा सा कान्हा चले है ठुमककर !
[sabhi photos google से sabhar ]
shikha kaushik
3 comments:
bhakti ras me sarabor karti sundar chitron se saji aur sumadhur aawaj me laybaddh bahut hi sarthak prastuti.aabhar shikha ji.
DHANYVAD SHALINI JI.aabhar YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC !
बहुत अच्छा मधुर मधुर भक्ति गीत गाया है आपने.
बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
मेरा ब्लॉग URL है
http://ishwarkipehchan.blogspot.com
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