हे मोर मुकुट धारी ! हे जन जन के हितकारी ! |
हे मोर मुकुट धारी ! हे जन जन के हितकारी !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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शिशुकाल में मात यशोदा की गोदी में खेले ,
प्राणों पर आये जो संकट हंसकर तुमने झेले ,
तेरी लीला अद्भुत हे नारायण अवतारी !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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मटकी फोड़ी ,माखन चोरी कर मोहा गोकुल जन ,
मीठी बंसी बजा बजाकर कहलाते मनमोहन ,
इन्द्र्कोप से रक्षा कर बने गोवर्धन गिरधारी !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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बरसाने की छोरी संग प्रभु तुम हो रास रचाते ,
राधावल्लभ राधे राधे कहकर तुम्हे बुलाते ,
नन्द के लल्ला कान्हा की लीला बड़ी निराली !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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दुष्ट कंस का वध कर उसको यम के लोक पहुँचाया ,
मात-पिता को कारावास से तुमने मुक्त कराया ,
बड़ी मनोहर जोड़ी हलधर संग तुम्हारी !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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दिया तुम्ही ने अर्जुन को गीता का वो सन्देश ,
करो कर्म इच्छा के बिन कहते तुम योगेश ,
नहीं दैन्य नहीं पलायन शिक्षा यही तुम्हारी !
हे देवकीनंदन हर लो भक्तों की विपदा सारी !
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शिखा कौशिक 'नूतन'
3 comments:
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
बहुत ही सुन्दर। सार्थक।।।
बहुत ही सुन्दर।
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