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Tuesday 26 July 2011

शिव महापुराण [४ ]

शिव महापुराण [४ ]
शिव महापुराण श्रवण के लाभ हैं दिव्य महान 
इसके पूर्व शिव पुराण श्रवण -विधि को लें जान
शुभ मुहूर्त में सदा इसका श्रवण आरम्भ हो
मित्र-बंधु का स्वागत साथ में सानंद हो .

कथा श्रवण घर में या फिर शिवालय में करो
कथा के स्थान को स्वच्छ -सुसज्जित करो
केला और चंदोवा से मंडप को सज्जित कीजिये
उच्च पद प्रदान कर वक्ता को मान दीजिये .

वक्ता पूर्व मुख हो व् श्रोता का मुख उत्तर की ओर
श्रोता  वक्ता के प्रति श्रृद्धा की बांधे रखे डोर  
वक्ता को भी चित्त  अपना शांत रखना चाहिए
कथा वाचन काल में संयम से रहना चाहिए .

नित्य सूर्योदय के साढ़े तीन प्रहर कथा सुनाइए
भजन कीर्तन  से फिर समाप्त करना चाहिए
निरविघ्न  चले कार्य ये ;गणेश पूजन कीजिये 
यजमान  को शुद्ध -आचरण का निर्देश दीजिये .

शिव-पुराण वक्ता को शिव स्वरुप मानकर
यजमान श्रृद्धा भाव से उसको ही शिव स्वीकार कर
श्रवण-पुण्य पा रहा यजमान का सौभाग्य
पवित्र है पुराण ये पूजा के है योग्य .

शिव-मन्त्र जप हेतु पञ्च-ब्राह्मन नियुक्त कीजिये
कथा पूर्ण होने पर उन्हें अन्न वस्त्र दीजिये
कथा श्रवण काल में सचेत व् सजग रहें
हो गयी त्रुटि अगर तो शिव का कोप भी सहें .

कथा श्रवण काल में ये आचरण न कीजिये
कथा श्रवण काल में कुछ भक्षण न कीजिये
बड़ों  का निरादर और स्वयं पर अभिमान
इनसे सदैव मिलते हैं अशुभ ही परिणाम .
  
                             शिखा कौशिक

1 comment:

Shalini kaushik said...

बहुत सुन्दर आध्यात्मिक प्रस्तुति बधाई